आत्म-सम्मान क्या होता है?
आत्म-सम्मान एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जो हमारे बारे में अपनी सोच और अहसास को संदर्भित करती है। आत्म-सम्मान एक व्यक्ति की अपने आप के प्रति मानसिक अवस्था है जो उसके व्यवहार, उसके संबंधों, और उसके निर्णयों पर प्रभाव डालता है।
आत्म-सम्मान के कुछ मुख्य लक्षण हैं:
अपने आप के मूल्य का अहसास: जिस व्यक्ति के पास अच्छा आत्म-सम्मान होता है वह अपने आप को किमती और महत्वपूर्ण मानता है।
आत्म-विश्वास: व्यक्ति अपनी क्षमताओं और सीमाओं पर भरोसा रखता है और अपने फैसलों को लेकर स्पष्ट रुख रखता है।
आत्म-संतुष्टि: व्यक्ति अपनी कमजोरियों को स्वीकार करता है और अपने बारे में सकारात्मक भावनाएं रखता है।
स्व-सम्मान: व्यक्ति अपने प्रति सम्मान व्यक्त करता है और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की कोशिश करता है।
स्व-संवेदनशीलता: व्यक्ति अपनी भावनाओं, चरमोत्तेजना और सीमाओं को समझता है।
आत्म-सम्मान के कारक:
अभिभावकों से प्रेम और स्नेह: जिन बच्चों को अभिभावकों से प्यार मिलता है वे आमतौर पर अच्छे आत्म-सम्मान के साथ बड़े होते हैं।े हैं।
सकारात्मक संवाद: जब हम लोग सकारात्मक ढंग से बात करते हैं और प्रोत्साहन देते हैं तो आत्म-सम्मान बढ़ता है।
सफलताएं: जब हम कुछ में सफल होते हैं तो हमारा आत्म-विश्वास और स्व-सम्मान बढ़ता है।
सामाजिक समर्थन: जब हमारे पास दोस्त, परिवार और सहायक समुदाय होता है तो आत्म-सम्मान बना रहता है।
आत्म-सम्मान के स्तर:
उच्च स्तर: व्यक्ति अपने कौशल और क्षमताओं पर गर्व महसूस करता है।
मध्यम स्तर: व्यक्ति कभी-कभी अपने बारे में अच्छा महसूस करता है और कभी-कभी नहीं।
कम स्तर: व्यक्ति अपने आप को अक्षम या निकम्मा मानता है और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रहता है।
नकारात्मक स्तर: व्यक्ति बहुत कमजोर और निरर्थक महसूस करता है। ऐसे लोगों में डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है।
आत्म-सम्मान से संबंधित समस्याएं:
कमजोर आत्म-अवधारणा: अपने बारे में नकारात्मक सोच।
डिप्रेशन: अवसाद, निराशा और आत्महत्या के विचार।
बौद्धिक स्तर पर संकट: शिक्षा और कार्य में विफलताएं।
सामाजिक संकट: संबंधों में समस्याएं और अकेलापन का अनुभव।
व्यक्तित्व संबंधी समस्याएं: अतिसं